रविवार, 28 दिसंबर 2008
अपनों से... अपनी बात
माँ संतोषी के भक्तों का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत है। हालाँकि उम्र के इस पड़ाव पर संपर्क और संवाद के लिए कंप्यूटर का उपयोग कुछ असहज लगता है, लेकिन जैसा मैं हमेशा कहता रहा हूँ कि कुछ सीखने या जानने के लिए कोई उम्र बाधा नहीं होती। ....इसलिए मैंने इसे जान लिया। राजस्थान के अजमेर नगर में एक छोटे से मन्दिर में माँ संतोषी के चरणों में रहते हुए दूर-दराज बसे माँ के भक्तों कि जिज्ञासाओं और समस्याओं का समाधान करना सम्भव नहीं हो रहा था। इसलिए सब कि सलाह पर यह क्रम आरम्भ किया है। आशा है अब दुबई, स्पेन, स्वीडन या साऊथ अफ्रीका में संतोषी माता कि व्रत कथा, चालीसा, आरती कि पुस्तिका या माता का चित्र तलाश करने कि परेशानी नहीं होगी। राजस्थान और देश के अन्य भागों से फोन और पत्रों से संपर्क रखने वालों को पूछताछ और जानकारियां प्राप्त करने में भी सहूलियत होगी......यही आशा है। जय माँ संतोषी......
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4 टिप्पणियां:
Iska lambe samay se intjaar tha. Baba ab jaldi se jaldi santoshi mata ki katha, aarti aur chalisa aadi bhi uplabhdh karaen. aap ka aabhar.
Baba pranam.
Is sarahniy kadam ka lambe samay se intjaar tha. santoshi mata ka vrat karne ki uchit vidhi aur aarti chalisa aadi bhi uplabdh kara saken to aabhari rahunga.
maa ka ek bhakt
आदरनीय बाबाजी,
यह ब्लॉग काफी काम का लगता है. मैं यह जानना चाहता हूँ की संतोषी माता कि पूजा किस उद्देश्य से कि जाती है? क्या यह केवल महिलाओं के लिए ही हो सकती है? सुना है सोलह सोमवार कि तरह सोलह शुक्रवार के व्रत भी काफी फलदायक होते हैं. कृपया मार्ग दर्शन करें.
मैंने संतोषी माता का नाम बहुत सुना है. अजमेर के मन्दिर के बारे भी जनता हूँ. एक बार दर्शन का सौभाग्य भी मिला है. मैं यह जानने को उत्सुक हूँ की "जय संतोषी माता" फ़िल्म से पहले संतोषी माँ के सम्बन्ध में जानकारी कम क्यों थी? क्या माता का व्रत तब भी होता था? फ़िल्म के बाद पिछले ३० वर्ष में ही देशभर में हजारों मन्दिर और लाखों भक्त उत्पन्न हो गए. इससे पहले ये देवी कहाँ विराजती थीं?
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